चंदौली/स्टेट मीडिया । वर्ष 2020 और 2021 शायद कई साल तक कोरोना आपदा के लिए जाना जायेगा। जब कोरोना आपदा का जिक्र होगा। इस दौर में कदम कदम पर अपना फर्ज निभाने वाले सुरक्षा कर्मी, नर्स चिकित्सक का नाम भी स्वर्ण अक्षरों में अंकित किया जायेगा। कोरोना आपदा में महिला अधिकारी, चिकित्सक और नर्स आदि द्वारा दिन रात सेवाभाव ने यह साबित कर दिया है कि महिलाएं अब किसी भी आपदा से निपटने में पूरी तरह सबल है। इस दौर में जिले के कई नर्सो ने अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है। प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र चकिया में कार्यरत एएनएम शैलजा पांडेय जो वर्ष 2019 ई० में एएनएम के पर नियुक्ति गई है । जिनके कुछ ही महिने बाद इनके कार्यकाल में कोरोना वायरस का प्रकोप बरस पड़ा। बहराइच जिले से अपने पिता रामा पांडेय व माता अर्चना पांडेय अपने परिवार से कई कोसो दूर अकेली अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर रही हैं । जब अपने माता पिता से फोन द्वारा हाल चाल के दौरान बोलती रही कि स्वास्थ्य विभाग में नौकरी करने का मतलब धन कमाना नही बल्कि आम लोगो की सेवा करना है। अगर हम लोग ही इस वायरस से डर जायेंगे तो कोरोना से संक्रमित मरीजों का क्या हाल होगा। उनकी जिम्मेदारी कौन लेगा। कोरोना काल में शैलजा पांडेय लगातार अपने फर्ज को अंजाम देती रही। और लगातार वैक्सीन लगाती रही। कभी नहीं हतोउत्साहित हुई, और न ही मरीजों की सेवा में कोई कमी आने दी । हालांकि कभी कभी संक्रमित मरीजों के नजदीक रहने के कारण भय का भी अहसास हुआ मगर उन्होंने सेवा को अपना परम धर्म मानकर लगातार अपने पथ पर चलती रही।
शैलजा पांडेय कहती हैं कि जिस प्रकार एक मां अपने बीमार बच्चे की देखभाल करती है, ठीक उसी प्रकार नर्स एएनएम मां के रूप में काम करती है। बस फर्क इतना है कि उन्हें मां की जगह सिस्टर कहने का प्रचलन है। एक नर्स मरीज की शारीरिक पीड़ा को अच्छी तरह समझ कर उन्हें बीमारियों से लड़ने का एक मानसिक जज्बा भी देती हैं। कोरोना जैसी महामारी से बचने की सलाह देती हैं । जहां आने वाले मरीजों को वैक्सीन लगाने के साथ ही उन्हें कोरोना के प्रति आगाह भी कर रही है ।
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