हाई ब्लड प्रेशर से गर्भवती व गर्भस्थ को रहता है खतरा- डॉ अंशुल सिंह
बरतें सावधानी वर्ना दोनों के लिए हो सकता है हानिकारक - डॉ आर बी शरण
चंदौली।स्टेट मीडिया। चकिया ब्लाक की रानी यादव 26 की पहली प्रेग्नेंसी है गर्भावस्था के चौथे महीने में उन्हें अजीब सी बेचैनी,चक्कर आने की समस्या शुरू हुई। रानी यादव बताती हैं कि जब घबराहट बढ़ने लगीं तो घर के नजदीक पीएचसी पर गई।डॉक्टर को सारी जानकारी दी।जांच में पता चला कि बीपी बढ़ गया है।अब डॉक्टर की निगरानी में हूं।जरा भी परेशानी शुरू होने पर तुरंत डॉक्टर के पास जाती हूँ,दवा और खानपान की दी गई जानकारी के आधार पर सेवन कर रही हूँ और अभी बिल्कुल ठीक हूँ।
अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ आरबी शरण बताते हैं कि रानी यादव की ही तरह अन्य गर्भवतियों को भी अक्सर गर्भावस्था के दौरान हाई ब्लड प्रेशर की समस्या हो जाती है वह बताते हैं कि वैसे तो हाई ब्लड प्रेशर सभी के लिए बेहद ही खतरनाक माना जाता है पर गर्भवतियों को इस रोग के प्रति अधिक सतर्क रहना चाहिए। हाइपरटेंशन के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए ही प्रतिवर्ष 17 मई को 'वर्ल्ड हाइपरटेंशन डे' मनाया जाता है।हर वर्ष यह नई थीम के साथ मनाया जाता है। इस वर्ष की थीम ”अपने रक्तचाप को सटीक रूप से मापें,इसे नियंत्रण करें,लबें समय तक जीवित रहें” हैं। 'वर्ल्ड हाइपरटेंशन डे' पर हाइपरटेंशन के प्रति लोगो को जागरूक किया जायेगा । वह बताते हैं कि गर्भावस्था के दौरान हाई ब्लड प्रेशर गर्भ में पल रहें शिशु और मां दोनों के लिए बेहद हानिकारक हो सकता है। इसके कारण गर्भ में पल रहे शिशु का शारीरिक विकास ठीक से नहीं हो पाता है। हाइपरटेंशन के कारण शिशु को खून का संचार कम हो जाता है गर्भावस्था के दौरान गर्भवती को अपनी सेहत का ख्याल सबसे ज्यादा रखने की जरूरत होती है। जरा सी भी लापरवाही से गर्भवती के साथ ही उसके गर्भ में पल रहे शिशु के लिए भी जानलेवा साबित हो सकता है।
चकिया प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की महिला चिकित्सा अधिकारी डॉ अंशुल सिंह ने बताया कि जनवरी से अब तक कुल 800 गर्भवती कि जांच में कुल 12 हाई बीपी कि गर्भवती चिन्हित हुई। प्रसव के दौरान गर्भवती को अपनी सेहत का ख्याल सबसे ज्यादा रखने की जरूरत होती है।जरा सी भी लापरवाही से गर्भवती महिला के साथ ही उसके गर्भ में पल रहे शिशु के लिए भी जानलेवा साबित हो सकता है।अक्सर कुछ गर्भवतियों को आखिरी महीने में हाई ब्लड प्रेशर होने की समस्या शुरू हो जाती है|इस दौरान बीपी को सामान्य ना किया जाए, तो यह बेहद हानिकारक हो सकता है।
डॉ अंशुल ने बताया कि गर्भावस्था में हाइपरटेंशन को (प्री-एक्लेम्प्सिया) भी कहा जाता है। प्री-एक्लेमप्सिया आमतौर पर गर्भावस्था के 20वें सप्ताह के बाद शुरू हो सकता है|जिससे मां और बच्चे दोनों के लिए ही एक गंभीर स्थिति हो सकती है। गर्भावस्था में हाई ब्लड प्रेशर के कारण- बहुत कम उम्र या अधिक उम्र में मां बनने के कारण ब्लड प्रेशर हाई हो सकता है।अगर महिला की उम्र 20 वर्ष से कम या 40 वर्ष से अधिक होगी,तो हाइपरटेंशन होने की संभावना बढ़ जाती है।साथ ही जुड़वां बच्चे या गर्भ में तीन या चार बच्चे होने से भी हाइपरटेंशन की समस्या बढ़ जाती है।गर्भवती को पहले से ही किडनी संबंधित कोई रोग हो,तो उसे भी उच्च रक्तचाप होने की समस्या बढ़ सकती है।जिस गर्भवती के पहले प्रसव में हाइपरटेंशन की समस्या हुई होगी,ऐसे केस में भी 25 प्रतिशत संभावना अधिक बढ़ जाती है।और अगर पहले से ही किसी का रक्तचाप अधिक हो,तो गर्भावस्था में यह और भी अधिक बढ़ सकता है|
गर्भ में पल रहे शिशु को नुकसान-हाइपरटेंशन की समस्या होती है,तो गर्भ में पल रहे शिशु का शारीरिक विकास सही से नहीं हो पाता है। हाइपरटेंशन के कारण शिशु को रक्त की कमी हो जाता है। हाई बीपी होने पर प्रसव जल्दी होने की संभावना बढ़ जाती है।समय से पूर्व प्रसव करने के कारण बच्चे को नवजात गहन चिकित्सा इकाई (एनआईसीयू) में भेजने की संभावना बढ़ जाती है।
गर्भावस्था में हाइपरटेंशन के लक्षण-ब्लड प्रेशर नॉर्मल से अधिक होना,बार-बार सिर में दर्द होना,धुंधला दिखाई देना, आंखों से संबंधित समस्या,एसिडिटी की तरह पेट में दर्द होना,कम समय में अधिक वजन बढ़ जाना,शरीर में अधिक सूजन होना आदि लक्षण होते हैं ।
ऐसे करें बचाव-गर्भावस्था में अधिक नमक का सेवन न करें,ज्यादा से ज्यादा पानी और जूस पीने की आदत डालें क्योंकि रक्तचाप कम करने के लिए यह सबसे अच्छा उपाय होता है। फल और ताजे आहार का ही सेवन करें। डॉक्टर कि सलाह पर व्यायाम करें और तनाव से बचें ।
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