चंदौली । स्टेट मीडिया ।चैत्र नवरात्रि का नवमी के दिन पूरे देश में रामनवमी की धूम रही । हिन्दू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार आज के दिन भगवान श्री राम का जन्म हुआ था । इसलिए इसी मुहूर्त पर भक्त बड़े ही धूमधाम से राम नवमी की पूजा-अर्चना करते है। इस दिन लोग भगवान राम के बाल स्वरूप की पूजा करते है कई लोग उपवास (व्रत) भी करते है। इस दिन कन्या पूजन भी होता है कन्याओं को अपने घर बुलाकर लोग उनकी पूजा करते है साथ ही उन्हें हलवा, पूरी-खीर और फल समेत मिठाईयां आदि खिलाई जाती है। दरअसल आज दिन मां दुर्गा का रुप मानकर नौ कन्याओं की पूजा की जाती है।
बता दें कि रामनवमी के दिन मां दुर्गा के 'सिद्धिदात्री' स्वरूप की पूजा भक्त करते है। रामनवमी की पौराणिक कथा हिन्दू धर्मशास्त्र के अनुसार, त्रेता युग में अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियां कौशल्या, केकई, और सुमित्रा थी। हालांकि उसवक्त उनके जीवन में किसी चीज की कोई कमी नहीं थी। वे पूरे संपन्न थे लेकिन फिर वे परेशान रहते थे।
कहा जाता है कि इसका मुख्य कारण उनकी संतान का ना होना था. राजा दशरथ की एक भी कोई संतान नहीं थी। राजा ने संतान प्राप्ति के लिए ऋषि वशिष्ठ के सुझाव पर पुत्र कामेश्ती यज्ञ किया। इसे ऋषि ऋष्यशृंग ने संपन्न कराया। कहा जाता है कि यज्ञ के परिणाम के रुप में अग्निदेव राजा दशरथ के सामने प्रकट हुए थे और उन्हें दिव्य खीर का एक कटोरा दिए और राजा दशरथ को अग्निदेव ने कहा कि वे खीर को अपनी तीनों पत्नियों के बीच बांट दें।
इस पर राजा दशरथ ने आधी खीर बड़ी पत्नी कौशल्या और आधी खीर दूसरी पत्नी केकई को दी। इन दोनों रानियों ने अपनी खीर का कुछ हिस्सा रानी सुमित्रा को भी दिया। बताया जाता है कि इसके बाद चैत्र महीने के शुक्ल पक्ष के नौवें दिन कौशल्या ने राम, केकई ने भरत और सुमित्रा ने लक्ष्मण और शत्रुघ्न को जन्म दिया था। इस दिन को रामनवमी के रूप में मनाई जाने की परंपरा है।
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